सोलर पैनल सिस्टम कैसे बनता है, उसका कार्य, उपयोग और भविष्य में सौर ऊर्जा की असर के बारेमे पूरी जानकारि

How a solar panel system is made, its function and use
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मित्र, सौर ऊर्जा दुनिया भर में बिजली उत्पन्न करने का ऊर्जा स्रोत बन चुका है। सौर ऊर्जा की मांग दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही हैं। और लोग बिजली बिल बचाने के लिए सोलर पैनल लगवाने का बहुत पसंद कर रहे हैं। यह केवल पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ही नहीं बल्कि यह लंबे समय तक बिजली प्राप्त करके देता है।

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इस लेख में हम सोलर पैनल कैसे बनता है, सौर ऊर्जा से बिजली कैसे उत्पन्न होती है, सोलर पैनल का उपयोग कहां किया जाता है और उसको लगवाने के कितने फायदे हैं। इस लेख में विगतवार चर्चा करेंगे तो चलो सौर ऊर्जा के बारे में चर्चा करते हैं।

सौर पैनल कैसे बनता है ?

सौर पैनल बनाने की प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं, जिनमें उच्च गुणवत्ता वाले मटीरियल का उपयोग और सटीक तकनीक शामिल होती है। आइए, इसकी पूरी प्रक्रिया को समझते हैं:

1. सिलिकॉन का शुद्धिकरण :

सौर पैनल बनाने के लिए सिलिकॉन मुख्य घटक होता है। इसे रेत (सिलिका) से निकाला जाता है और शुद्ध किया जाता है। इस प्रक्रिया में सिलिकॉन को 1400°C तक गर्म करके अशुद्धियाँ दूर की जाती हैं।

2. सिलिकॉन इंगॉट्स का निर्माण :

शुद्ध सिलिकॉन को बेलनाकार इंगॉट्स (ठोस ब्लॉक) के रूप में ढाला जाता है। इन इंगॉट्स को पतली वेफर्स (Wafers) में काटा जाता है, जो सौर सेल का आधार बनते हैं।

3. सौर सेल का निर्माण :

वेफर्स पर फॉस्फोरस जैसे तत्वों की परत चढ़ाकर PN जंक्शन बनाया जाता है। यही जंक्शन सूर्य की रोशनी को बिजली में बदलने में मदद करता है।

4. सेल्स को पैनल में असेंबल करना :

अलग-अलग सौर सेल्स को मेटल फ्रेम में जोड़कर सौर पैनल तैयार किया जाता है। इन्हें ग्लास कवर और इवा शीट से सुरक्षित किया जाता है ताकि ये मौसम की मार झेल सकें।

5. टेस्टिंग और क्वालिटी चेक :

अंत में, सौर पैनल्स की क्षमता और दक्षता की जाँच की जाती है। स्टैंडर्ड टेस्ट के बाद ही इन्हें बाजार में बेचा जाता है।

इसको भी पढते है : विक्रम सोलर पैनल भारत की सबसे अच्छी सौर ऊर्जा प्रणाली है और जाने किंमत, महत्व और विस्तृत जानकारी

सौर पैनल कैसे बिजली उत्पादन करता है ?

सौर पैनल फोटोवोल्टिक प्रभाव (Photovoltaic Effect) के सिद्धांत पर काम करते हैं। जब सूरज की किरणें सेल्स पर पड़ती हैं, तो इलेक्ट्रॉन्स गति करने लगते हैं, जिससे डायरेक्ट करंट (DC) पैदा होता है। इस DC करंट को इन्वर्टर की मदद से अल्टरनेटिंग करंट (AC) में बदला जाता है, जिसे हम घरों और उद्योगों में इस्तेमाल करते हैं।

सौर ऊर्जा का उपयोग :

  • घरेलू उपयोग: बिजली बिल कम करने के लिए घरों की छतों पर लगाया जाता है।
  • कृषि क्षेत्र: सोलर पंपों से खेतों की सिंचाई की जाती है।
  • उद्योग: फैक्ट्रियों में बड़े सोलर प्लांट्स लगाए जाते हैं।
  • स्ट्रीट लाइट्स: सार्वजनिक स्थानों पर सोलर लैंप का उपयोग।
  • अंतरिक्ष: सैटेलाइट्स और स्पेस मिशन में सोलर एनर्जी का प्रयोग।

सौर ऊर्जा के फायदे :

कोई प्रदूषण या हानिकारक गैसें नहीं छोड़ता।
एक बार लगाने के बाद 30 साल तक फ्री बिजली।
सोलर पैनल को ज्यादा मेंटेनेंस की जरूरत नहीं होती।
बिजली कटौती से मुक्ति मिलती है।
भारत सरकार सोलर पैनल लगाने पर सब्सिडी देती है।

भविष्य में सौर ऊर्जा का प्रभाव :

सौर ऊर्जा ने पिछले एक दशक में ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला दी है। जैसे-जैसे जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम) की कीमतें बढ़ रही हैं और पर्यावरण प्रदूषण चिंता का विषय बन गया है, दुनिया सौर ऊर्जा की ओर तेजी से बढ़ रही है। भविष्य में इसका प्रभाव क्या होगा? कैसे यह हमारे जीवन, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को बदल देगा? आइए, विस्तार से जानते हैं।

1. ऊर्जा स्वतंत्रता देशों को मिलेगी आत्मनिर्भरता :

आज भी कई देश तेल और गैस आयात पर निर्भर हैं, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। लेकिन भविष्य में सौर ऊर्जा के विस्तार से देश अपनी ऊर्जा जरूरतें खुद पूरी कर सकेंगे। भारत जैसे देशों के लिए यह एक बड़ा बदलाव लाएगा, क्योंकि यहाँ सालभर भरपूर धूप मिलती है।

2. ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर बिजली पहुँचेगी  :

आज भी भारत के कई गाँवों में बिजली की कमी है। लेकिन सोलर माइक्रोग्रिड और रूफटॉप सोलर सिस्टम की मदद से दूर-दराज के इलाकों तक सस्ती और स्वच्छ बिजली पहुँचेगी। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

3. पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर रोक

जीवाश्म ईंधन के जलने से CO₂ उत्सर्जन बढ़ता है, जो ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। सौर ऊर्जा शून्य उत्सर्जन वाला स्रोत है, जिससे भविष्य में हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा। यह पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद करेगा।

4. रोजगार के नए अवसर :

सौर ऊर्जा क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग, इंस्टालेशन और मेंटेनेंस से जुड़े लाखों नौकरियाँ सृजित होंगी। भारत सरकार की सोलर मिशन योजना पहले ही इस दिशा में काम कर रही है। आने वाले समय में सोलर टेक्निशियन और इंजीनियरों की मांग तेजी से बढ़ेगी।

5. स्मार्ट सिटी और इलेक्ट्रिक वाहनों का युग

भविष्य की स्मार्ट सिटीज़ सौर ऊर्जा पर ही चलेंगी। सोलर पैनल से स्ट्रीट लाइट्स, ट्रैफिक सिस्टम और बिल्डिंग्स को बिजली मिलेगी। साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को चार्ज करने के लिए भी सोलर पावर का उपयोग बढ़ेगा, जिससे पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी।

6. टेक्नोलॉजी में नए आविष्कार :

वैज्ञानिक पर्क सोलर सेल, बाइफेशियल पैनल और सोलर पेंट जैसी नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं, जो भविष्य में सौर ऊर्जा की दक्षता को और बढ़ाएंगी। हो सकता है कि आने वाले समय में खिड़कियाँ और दीवारें भी बिजली पैदा करने लगें!

7. बिजली की लागत में भारी कमी :

पहले सौर ऊर्जा महंगी थी, लेकिन अब टेक्नोलॉजी सस्ती हो रही है। भविष्य में यह कोयला और गैस से भी सस्ती हो जाएगी, जिससे बिजली बिल में भारी बचत होगी।

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